News

आख़िर क्यों कोरोना वायरस बिहार में बेलगाम हो गया

बिहार में कोरोना वायरस के मामलों का बढ़ना फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है। लगातार बढ़ते संक्रमण का ही असर है कि बिहार भारत में सबसे प्रभावित राज्यों की सूची में हरियाणा को पछाड़ते हुए दसवें स्थान पर पहुंच गया है। ये आँकड़ा तब है जब यहाँ मुश्किल से हर दिन 10000 केस जाँच हो रहा है। ऐसे में अब बिहार पर अगला हॉटस्पॉट बनने का खतरा मंडरा रहा है। आख़िर क्या कारण है की सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या घटने के बजाए लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आख़िर बिहार में कोरोना के बेलगाम रफ़्तार का क्या कारण हैं ? क्या मौजूदा सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही है ? या हम अभी तक एक ज़िम्मेदार नागरिक नहीं बन पायें है ? क्या हर चीज़ के लिए सिर्फ़ सरकार के ऊपर ठीकरा फोड़ कर हम अपने ज़िम्मेदारी से भाग सकते हैं या हमारी भी कुछ जवाबदेही है ?

बिहार में कोरोना का पहला केस

13 मार्च से  21 मार्च के बीच बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के संदेह में 31 लोगों के सैंपल की जांच की गई थी, तो कोरोना से पीड़ितों की संख्या शून्य थी। वहीं, 22 मार्च से 27 मार्च के बीच 6 दिनों में लगभग 544 सैंपलों की जांच की गई, जिनमें 9 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले पटना में सामने आए हैं। 22 मार्च दिन रविवार को कोविड-19 का पहला केस बिहार में मिला था जो क़तर से यात्रा कर के आया था।

90 प्रतिशत बिना लक्षण वाले मामले

बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में 90 फीसदी मामले ऐसे हैं जिनमें लक्षण या तो बहुत मामूली हैं या हैं ही नहीं। इसका मतलब यह है कि कोरोना वायरस अब दबे पांव भी आगे बढ़ रहा है। यहाँ 90 प्रतिशत वैसे लोग हैं जो जाने अंजाने कोरोना वायरस फैला रहे हैं, कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में से 10 फीसदी में से 05 फीसदी मरीज में संक्रमण के गंभीर लक्षण दिख रहे हैं जबकि पांच फीसदी बेहद गंभीर हैं।

लोगों का पलायन

भारत के लगभग हर राज्य, हर शहर, हर प्रांत में  बिहारी मौजूद हैं, कुछ वहाँ प्रशासन का काम देखते हैं तो कुछ दैनिक मज़दूरी करते हैं, कुछ रिक्शा या ठेला चलाते हैं तो कुछ फल या सब्ज़ी बेचते हैं या कुछ वहाँ के स्थानीय कल कारख़ानों में काम करते हैं। कोरोना वायरस के कारण जिस तरह भारत सरकार के द्वारा लगातार लॉकडाउन का समय बढ़ रहा था, दूसरे शहरों और राज्यों में रहनेवाले लोग अपने मूल निवास की तरफ लौटने लगे, कारण चाहे जो भी हो। परिणामस्वरूप कोरोना वायरस बड़ी आसानी से एक राज्य से दूसरे राज्य,  एक शहर से दूसरे शहर और एक गाँव से दूसरे गाँव में फैलता चला गया।

कम जाँच और स्वास्थ विभाग में तैयारी का अभाव

कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने का सबसे कारगर उपाय अधिक से अधिक जाँच करना है और कोरोना संक्रमण के सम्पर्क में आए लोगों का पहचान करना है। इन दोनो ही मामलों में बिहार सरकार उन्नीस साबित हुआ और कोरोना वायरस बीस। शुरू में लोगों को पता ही नहीं था की जाँच कहाँ करवाना है, लोग यहाँ से वहाँ, फिर वहाँ से कहीं और, बस घूमते रहे, घूमते रहे aur घूमते ही, लेकिन जहाँ जहाँ गए साथ में कोरोना वायरस ज़रूर ले गए। अस्पतालों में लचर व्यवस्था, चिकित्सकों का कम प्रशिक्षित होना, पीपीइ कीट का अभाव, इन सब के कारण धीरे धीरे कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाले ही कोरोना वायरस से संक्रमित होते चले गए। परिणामस्वरूप इलाज करने वालों को ही इलाज की ज़रूरत हो गई।

कम शिक्षित होना

बिहार में कोरोना के बढ़ने की एक दूसरी मुख्य वजह साक्षरता की कमी भी है। यहाँ ऐसे लोगों की संख्या काफ़ी आधिक है जो शुरू में जान या समझ ही नहीं पाए की कोरोना संक्रमण के फैलाव का क्या कारण  है या ये किस रफ़्तार में फैलता है, जाने अंजाने ये कोरोना वायरस के वाहक बने और पूरे बिहार में फैलाते चले गए। जब बीमारी की शुरुआत हुई थी, उसी समय से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि क्या यह बीमारी एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है या नहीं ? जब तक इस बीमारी से जुड़ी जरूरी जानकारियां लोगों के सामने आई तब तक यह बीमारी अपने पैर पसार चुकी थी

बिहार की आबादी है

बिहार जैसे करीब 13 करोड़ जनसंख्यावाले राज्य में बहुत प्रयास के बाद भी हर समय और हर किसी के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना संभव नहीं है। फिर भी सभी लोग अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोरोना बहुत तेजी से संक्रमित करनेवाली बीमारी है, जो चंद सेकंड में एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रांसफर हो जाती है। हालांकि ऐसे लोगों की सख्या काफी सीमित है, जिन्होंने सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन और सुरक्षा से संबंधित नियमों को मानने से इनकार किया। लेकिन इन लोगों के कारण बिहार में कोरोना के मामलों ने रफ्तार पकड़ी। इस कड़ी में तबलीगी जमात के लोग, प्रवासी मज़दूर का नाम प्रमुखता से आता है। यहाँ की सड़कों पर आज भी लॉकडाउन के बावजूद भीड़ देखा जा सकता है।

केस हिस्ट्री छिपाना

कोरोना पीड़ित कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी बीमारी को छिपाए रखा। ताकि उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट ना होना पड़े या क्वारंटाइन में ना रहना पड़े। इस कारण उन लोगों की वजह से उनके परिजनों और मिलनेवाले लोगों में यह संक्रमण तेजी से फैला। लोग ये समझ नहीं पाए की आप अपनी बीमारी सरकार से छिपा सकते हैं कोरोना वायरस से नहीं।

लॉकडाउन में ढील

कुछ लोगों का मानना है कि लॉकडाउन के चौथे चरण में दी गई ढील ही इस बीमारी के इतने भयानक रूप में फैलने की वजह है। लॉकडाउन समाप्ति के बाद लोग आम जन जीवन में ऐसे लौटे जैसे कोरोना वायरस था ही नहीं जबकि यह रोग बायॉलजिकल तौर पर ऐसा है जो इसी तरह फैलता है। इसके फैलने की दर शुरुआत कम होती लेकिन फिर बहुत तेजी से बढ़ती है। अमेरिका और इटली जैसे देशों के उदाहरण हमारे सामने हैं।

 

हमें समझना होगा की बिहार में कोरोना वायरस के रोकथाम की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ सरकार की नहीं है ये हम सब की जवाबदेही है। सरकार सिर्फ़ नियम या क़ानून बना सकती है उसे लागू कर सकती है उसे सफल हमें बनाना है, उसके प्रति जागरूक हमें होना है, क्योंकि इससे प्रभावित सिर्फ़ सरकार या उससे जुड़े हुए लोग नहीं होंगे बल्कि हम और हमारे अपने होंगे, जिन्हें हम बेहद प्यार करते हैं, शायद अपने जान से भी ज़्यादा। हम सब को मिलकर कोरोना को हराना है अपने लिए, अपनों के लिए और उस समाज के लिए जिसके साथ हम रहते है

 

 

Leave a Reply