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क्या है रैपिड एंटीजन टेस्ट

बिहार में अब रैपिड एंटीजन टेस्ट के ज़रिए कोरोना वायरस की टेस्टिंग शुरू हो गई है। इससे टेस्टिंग की प्रक्रिया तेज होती है और मरीजों का पता जल्दी से जल्दी चलता है, जिससे उनको इलाज जल्दी मिल पाता है। आमतौर पर कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट एक से दो दिन में आती है जबकि इस तकनीक में 15 से 30 मिनट के अंदर नतीजे आ जाते है। यही कारण है कि जहां भी कोरोना वायरस का मरीज मिल रहा है उसे क्षेत्र में इसी किट का इस्तेमाल कर वायरस के संक्रमण विस्तार को रोका जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद मान रहे हैं कि यह सबसे ज्यादा कारगर साबित हुई है। लेकिन बहुत काम लोगों को पता है की आखिर ये रैपिड एंटीजेन टेस्ट है क्या और ये कैसे काम करता है

क्या है रैपिड एंटीजन टेस्ट ?

इस तकनीक में व्यक्ति की नाक की दोनों तरफ़ से फ्लूइड का सैंपल लिया जाता है. फिर उसको पास ही मौजूद एक मोबाइल बैन के अंदर बनी छोटी से लेबोरेटरी के अंदर टेस्ट किया जाता है. अगर टेस्टिंग स्ट्रिप पर एक लाइन आती है तो इसका मतलब नेगेटिव होता है. लेकिन उसको पुख्ता तौर पर नेगेटिव नहीं माना जा सकता और कन्फर्म करने के लिए RT-PCR टेस्ट ज़रूरी होता है. अगर दो लाल लकीर दिखाई देती हैं तो इसका मतलब व्यक्ति पॉजिटिव है जिसको पुख्ता तौर पर पॉजिटिव मान लिया जाएगा. लेकिन अगर कोई लकीर नहीं देखती तो इसका मतलब टेस्ट बेनतीजा है. इस तकनीक में टेस्ट का नतीजा 15 से 30 मिनट के अंदर आ जाता है. इस तकनीक को साउथ कोरिया की मानेसर स्थित कंपनी ने तैयार किया है.

कैसे होती है कोरोना वायरस की जांच ?

कोरोना वायरस की टेस्टिंग करने के चार तरीके हैं। निचे लिखे गए चार तरीके से डॉक्टर जानते हैं की व्यक्ति संक्रमित हैं या नहीं।

स्वाब टेस्ट : इस टेस्ट में एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से सैंपल लिए जाते हैं।

नेजल एस्पिरेट : वायरस की जांच करने वाला आपकी नाक में एक सॉल्यूशन डालने के बाद सैंपल कलेक्ट कर उसकी जांच करता है ।

ट्रेशल एस्पिरेट : ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब आपके फेफड़े में डालकर वहां से सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है।

सप्टम टेस्ट : यह फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिये निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट होता है।

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